Monday, 2 September 2013

  •  प्राचीन काल से ही पंच महाभूतों -पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु एवं आकाश तत्व की महत्ता को स्वीकारा है। हमारा शरीर इन्ही पंचतत्वों से निर्मित है, प्रकृति के नियमों की अवहेलना एवं अप्राकृतिक खान-पान से हमारा शरीर रोगग्रस्त हो रहा । प्रकृति का नियम है कि – प्रकृति ने जो वस्तु जिस रुप में दी है उसे उसका रुप बिगाडे बिना प्रयोग किया जाय । परन्तु आज के इस आपाधापी के युग में ऐसा सम्भव नही हो पाता परिणामस्वरुप व्यक्ति रोगी हो जाता है।
    प्राकृतिक चिकित्सा रोग को दबाती नही बल्कि यह समस्त आधि-व्याधियों एवं साघ्य असाघ्य रोगों को जड़ मूल से मिटा सकती है। अन्य चिकित्सा विधियों से तो सिर्फ रोगो की आक्रामकता को कुछ समय के लिए रोका/दबाया जा सकता है, परन्तु समस्त रोगों का उपचार तो प्रकृति ही करती है।
    प्राकृतिक चिकित्सा एक चिकित्सा पद्धति ही नही बल्कि जीवन जीने की कला भी है जो हमें आहार,निद्रा,सूर्य का प्रकाश, स्वच्छ पेयजल,विशुद्ध हवा, सकारात्मकता एवं योगविज्ञान का समुचित ज्ञान कराती है।

    प्राकृतिक चिकित्सा मानती है कि सभी रोग एक हैं,सबके कारण एक हैं और उनकी चिकित्सा भी एक है
    रोगों का कारण है अप्राकृतिक खान-पान,अनियमित दिनचर्या एवं दूषित वातावरण ; इन सब के चलते शरीर में विजातीय द्रव्य ( विष की मात्रा ) बढ़ जाती है।जब यह विष किसी अंग विशेष या पूरे शरीर पर ही अपना प्रभुत्व जमा लेता है तब रोग लक्षण प्रगट होते हैं इन रोग लक्षणों को औषधियों से दबाना कदापि उचित नहीं हैं बल्कि प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा विकसित वैज्ञानिक उपचारों के सहयोग से शरीर के प्रमुख मल निष्कासक अंग -त्वचा,बड़ी आंत,फेफडे एवं गुर्दों के माध्यम से विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना उचित है तभी हम सम्पूर्ण निरोगता की ओर अग्रसर हो सकेंगे।
                                                                  प्रमुख उद्देश्य 
  • प्राकृतिक चिकित्सा, योग, आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं यूनानी चिकित्सा के विकास के लिए चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना करना एवं योग व् प्राकृतिक चिकित्सा को जन सामान्य की जीवन शैली में ढालकर व्यक्ति को स्वयं एवं समाज के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना सोसाइटी का प्रमुख उद्देश्य है |
  • नेचर केयर सोसाइटी प्राकृतिक चिकित्सा / योग / एक्यूप्रेशर / चुम्बक / चिकित्सा पद्धतियों (जीवन पद्धतियों ) के विभिन्न पाठ्यक्रमों को संचालित करती है | इनका ज्ञान प्राप्त करके व्यक्ति स्वयं स्वस्थ्य रहने की कला सीखकर स्वस्थ्य समाज के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है |


नेचर केयर सोसाइटी - वर्तमान प्रबंधकारिणी

  • 1. परम पूज्य श्रीहित स्वामी कमलदास जी महराज - ( मुख्य संरक्षक )
  • 2. साध्वी शिरोमणि -                                          (संरक्षक)
  • 3. महेश खण्डेलवाल -                                         (संरक्षक)   
  • 4. डॉ.पी. के. सूरी -                                             (संरक्षक)
  • 5. अक्षय खण्डेलवाल -                                        (संरक्षक)
  • 6. सत्य प्रकाश द्विवेदी -                                    (अध्यक्ष)
  • 7. कैलाश नाथ -                                                (उपाध्यक्ष)
  • 8. डॉ. कैलाश द्विवेदी -                                      (सचिव/निदेशक)             
  • 9. डॉ. बबिता सारस्वत -                                     (महासचिव)
  • 10. डॉ. सौरभ द्विवेदी -                                     (कोषाध्यक्ष)
  • 11. डॉ. उमा शंकर राही -                                    (सदस्य)
  • 12. देवेश कुमार -                                             (सदस्य)